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आवारा पशु बन रहे लोगों की जान के दुश्मन

काश्तकारों की फसलों को कर रहे बर्बाद।
कालाढूंगी(नैनीताल)। कालाढूंगी क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों और शहरी क्षेत्र में आवारा पशुओं का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है। सड़क पर घूमते हुए ये मवेशी न केवल लोगों की जान के लिए खतरा बने हुए हैं, बल्कि खेतों में घुसकर किसानों की मेहनत से तैयार की गई फसलों को भी बर्बाद कर रहे हैं। रात के अंधेरे में झुंड के झुंड में खेतों में पहुंचकर पशु खेतों में खड़ी फसलों को चट कर जाते हैं, जिससे काश्तकारों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। लोगों का कहना है कि कई बार तो ये पशु सड़क पर अचानक आ जाते हैं, जिससे दुर्घटनाओं की संभावना बनी रहती है। बीते दिनों हाईवे पर आवारा बैल और गाय की वजह से कई वाहन चालक हादसे का शिकार हो चुके हैं। इस स्थिति से न केवल किसानों की रोजी-रोटी प्रभावित हो रही है बल्कि राहगीरों की सुरक्षा भी खतरे में पड़ गई है। कालाढूंगी पालिका क्षेत्र में सम्मिलित हुए नए क्षेत्र के काश्तकारों ने पालिका को ज्ञापन सौंपते हुए मांग की है कि इन आवारा पशुओं को पकड़कर नजदीकी गौशालाओं में छोड़ा जाए, ताकि उनकी फसलें सुरक्षित रह सकें और दुर्घटनाओं का खतरा भी कम हो। ज्ञापन में प्रकाश भट्ट, भुवन चंद्र भट्ट, प्रकाश कोठारी, भगवान प्रसाद, त्रिलोक चंद्र, आनंद जोशी, महिपाल सिंह, चंद्र शेखर, कमलेश आदि के हस्ताक्षर हैं।
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आखिर कौन सड़कों पर छोड़ रहा है पशु।
जिम्मेदारों पर भी हो कार्रवाई।
कालाढूंगी समेत आसपास के क्षेत्रों में सड़कों पर घूम रहे आवारा पशु लोगों के लिए लगातार मुसीबत बनते जा रहे हैं। कभी सड़क हादसों का कारण बनते हैं तो कभी खेतों में घुसकर काश्तकारों का सिर दर्द। यहां सवाल यह उठता है कि आखिर इन पशुओं को सड़कों पर छोड़ कौन रहा है। परेशान लोगों का कहना है कि कई पशुपालक दूध न देने वाले या बूढ़े मवेशियों को खुले में छोड़ देते हैं। धीरे-धीरे ये पशु गांव और कस्बों की गलियों से निकलकर मुख्य सड़कों पर पहुंच जाते हैं। यही वजह है कि आए दिन वाहन चालकों को दुर्घटनाओं का सामना करना पड़ता है। सिर्फ आवारा पशुओं को पकड़कर गौशालाओं में भेजना ही काफी नहीं है, बल्कि उन लोगों पर भी सख्त कार्रवाई होनी चाहिए जो अपने पशुओं को सड़क पर छोड़कर समाज के लिए समस्या खड़ी कर रहे हैं। उनका कहना है कि जब तक जिम्मेदारों को दंडित नहीं किया जाएगा, तब तक यह समस्या खत्म नहीं होगी।
फोटो। आवारा पशु।
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